दो
साम्राज्य
तीन महाद्वीपों में फैला हुआ साम्राज्य
इस्लाम का उदय और विस्तार लगभग 570-1200
यायावर साम्राज्य
साम्राज्य
मे* सोपोटामिया में साम्राज्य स्थापित होने के दो सहस्राब्दी बाद तक उस क्षेत्र तथा उसके पूर्व और पश्चिम में साम्राज्य निर्माण के विविध प्रयत्न होते रहे। छठी शती ई. तक ईरानियों ने असीरिया के साम्राज्य के अधिकांश भाग पर अपना नियंत्रण स्थापित कर लिया था। स्थलमार्गो के साथ-साथ भूमध्यसागरीय तटवर्ती क्षेत्रों में व्यापारिक संबंधों का विकास हुआ।
इन परिवर्तनों के फलस्वरूप व्यापार में सुधार हुआ और इस वजह से पूर्वी भूमध्यसागरीय क्षेत्र में यूनानी नगर तथा उनकी बस्तियों को लाभ हुआ। उन्हें काला सागर के उत्तर में रहने वाले यायावर लोगों के साथ घनिष्ठ व्यापारिक संपर्क से भी बहुत फ़ायदा हुआ। यूनान में अधिकांश समय तक एथेंस और स्पार्टी के नगर राज्य नागरिक जीवन के केंद्र बने रहे। चतुर्थ शती ई. के उत्तरार्ध में यूनानी राज्यों में मेसीडोन राज्य के राजा सिकंदर ने कई सैन्य अभियान किए और उत्तरी अफ्रीका, पश्चिमी एशिया व ईरान तथा भारत में व्यास तक के क्षेत्र को जीत लिया। उसके सैनिकों ने और आगे पूर्व में जाने से मना कर दिया। सिकंदर का सैन्य दल पीछे मुड़ गया, यद्यपि कई यूनानी इस क्षेत्र में ही रह गए।
सिकंदर के नियंत्रण में इस पूरे क्षेत्र में यूनानियों और स्थानीय लोगों में आदशों और सांस्कृतिक परंपराओं का आदान-प्रदान हो रहा था। पूरे क्षेत्र का यूनानीकरण हो गया जिसे अंग्रेजी में हेलेनाइज़ेशन कहा जाता है क्योंकि यूनानियों को हेलेनीज़ कहते थे। यूनानी भाषा इस क्षेत्र को एक जानी-पहचानी भाषा बन गई। लेकिन सिकंदर के साम्राज्य की यह राजनीतिक एकता उसकी मृत्यु के तुरंत बाद विघटित हो गई। हालांकि इसके तीन शताब्दी याद तक यूनानी संस्कृति इस क्षेत्र में महत्त्वपूर्ण बनी रही। इस क्षेत्र के इतिहास में यह काल प्रायः यूनानी काल के नाम से जाना जाता है। लेकिन यह मान्यता यूनानी विश्वासों व विचारों की तरह ही अन्य महत्त्वपूर्ण (संभवतः इससे भी अधिक महत्त्वपूर्ण) संस्कृतियों (मुख्य रूप से ईरान के पुराने साम्राज्य से संबंधित ईरानी संस्कृति) की महत्ता को अस्वीकार कर देती है।
इसके बाद के भावी इतिहास के महत्त्वपूर्ण पहलुओं के बारे में इस अनुभाग में पता चलेगा। सिकंदर के साम्राज्य के विघटन के फलस्वरूप हुई राजनीतिक कलह का लाभ उठाते हुए रोम no के मध्य इतालवी नगर राज्य के छोटे किंतु सुसंगठित सैन्य बल ने दूसरी शती ई. से उत्तरी अफ्रीका और पूर्वी भूमध्यसागर पर नियंत्रण कर लिया। उस समय रोम एक गणतंत्र था। यद्यपि वहाँ की सरकार निर्वाचन की एक जटिल व्यवस्था पर आधारित थी लेकिन राजनीतिक संस्थाएँ जन्म और धन-संपदा को कुछ महत्त्व देती थीं यहाँ का समाज दासता से भी लाभान्वित था। रोम की सैन्य शक्ति ने एक समय सिकंदर के साम्राज्य का भाग रहे राज्यों के बीच व्यापार हेतु तंत्र स्थापित
2022-23
किया। प्रथम शती ई. के मध्य उच्च कुल में जन्मे सैन्य नायक जूलियस सोज़र के अधीन रोम साम्राज्य' वर्तमान ब्रिटेन और जर्मनी तक फैल गया।
साम्राज्य 51
लातिनो (जो रोम में बोली जाती थी) साम्राज्य की मुख्य भाषा थी। हालांकि पूर्व में रहने वाले कई लोग यूनानी भाषा का ही प्रयोग करते रहे। रोम के लोगों में यूनानी संस्कृति के प्रति गहरा आदर भाव था। प्रथम शती ई.पू. के अंतिम भाग में साम्राज्य के राजनैतिक ढाँचे में परिवर्तन हुए। चतुर्थ शती ई. में सम्राट कॉन्स्टेनटाइन के ईसाई बनने के बाद इस साम्राज्य का काफ़ी हद तक ईसाईकरण हो गया।
शासन को सुचारू ढंग से चलाने के लिए चौथी शती ई. में रोम साम्राज्य को पूर्वी और पश्चिमी दो हिस्सों में बाँट दिया गया। लेकिन पश्चिम में सीमावर्ती क्षेत्रों (गोथ, विसीगोथ, बैंडल व अन्य) को जनजातियों तथा रोम के बीच स्थित व्यवस्थाएँ बिगड़ने लगीं। ये व्यवस्थाएँ व्यापार, सैन्य भर्ती तथा बसने से जुड़ी थीं और जनजातियों ने रोम प्रशासन पर अपने आक्रमणों में वृद्धि कर दी। ये मतभेद बढ़ते गए और साम्राज्य के आंतरिक मतभेदों में जुड़ गए। फलतः पाँचवीं शती ई. आते-आते पश्चिम का यह साम्राज्य नष्ट हो गया। पूर्व के साम्राज्य की सीमा के अंतर्गत हो जनजातियों ने अपने-अपने राज्य स्थापित कर लिए। ईसाई चर्च से प्रोत्साहन पाकर नौवीं शती ई. में ऐसे ही कुछ राज्यों को मिलाकर पवित्र रोमन साम्राज्य की स्थापना की गई। पवित्र रोमन साम्रा ने पुराने रोमन साम्राज्य के साथ निरंतरता का दावा किया।
hed कोरिथ के यूनानी नगर के
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