मूल निवासियों का विस्थापन
इस अध्याय में अमरीका और ऑस्ट्रेलिया के मूल निवासियों के इतिहास के कुछ पहलू पेश किए गए हैं। विषय में हमने दक्षिण अमरीका में स्पेनी और पुर्तगाली औपनिवेशीकरण के इतिहास की झांकी देखी थी। 18 से दक्षिणी अमरीका के और भी हिस्सों में, तथा मध्य, उत्तरी अमरीका, दक्षिणी अफ्रीका, ऑस्ट्रेलिया तथा न्यूजीलैंड के इलाकों में यूरोप से आए आप्रवासी बसने लगे। इस प्रक्रिया ने वहाँ के बहुत से मूल निवासियों को दूसरे इलाकों में जाने पर मजबूर किया। यूरोपीय लोगों की ऐसी बस्तियों को 'कॉलोनी' उपनिवेश) कहा जाता था जब यूरोप से आए इन उपनिवेशों के पारिदि यूरोपीय 'मातृदेश से स्वतंत्र हो गए, जो उन्हें 'राज्य' या देश का दर्जा हासिल हो गया।
190 और 20वीं सदी में एशियाई देशों के लोग भी इनमें से कुछ देशों में आ बसे। आज यूरोपीय और एशियाई लोग इन देशों में बहुसंख्यक हैं, और वहाँ के मूल निवासियों की संख्या कम रह गई है। वे शहरों में मुश्किल से ही नज़र आते हैं, और लोग भूल गए हैं कि कभी देश का अधिकतर हिस्सा उन्हीं के कर्ज में था, और यह भी कि कई नदियों, शहरों इत्यादि के नाम 'देसी' नामों से बने हैं[ (मसलन, संयुक्त राज्य अमरीका में ओहियों (Ohio ), मिसीसिपी (Mississippi) और सिएटल (Seattle) व कनाडा में सरकातचैवान (Saskatchewan), ऑस्ट्रेलिया में बालानां (Wellongong ) और परामत्ता (Parramatta) |
बीसवीं सदी के मध्य तक अमरीका और ऑस्ट्रेलिया को इतिहासको में यह बताया जाता था कि किस तरह यूरोपवासियों ने उत्तरी और दक्षिणी अमरीका तथा ऑस्ट्रेलिया की खोज की। उनमें यहाँ के मूल हिरों का ही कभी सिवाय यह बताने के कि यूरोपीय लोगों के प्रति उनका रवैया शत्रुतापूर्ण था। पर 1840 के दशक से ही अमरीका में मानधन ने उन पर अध्ययन आरंभ कर दिया था। बहुत बाद में, 1960 के दशक से, इन मूल निवासियों को अपने इतिहास को लिखने या पान करने के लिए प्रेरित किया गय
आज इन मूल लिखे गए इतिहास और कलाकृतियों को पढ़ना संभव है। इन देशों में लोग वहाँ के संग्रहालयों में देसी कला को दीप आदिवासी विशेष संग्रहालय भी देख सकते हैं। संयुक्त राज्य अमरीका में नया अमरीका इंडियन राष्ट्रीय संग्रहालय अमरीकी इंडियनों को देख-रेख में बना है।
यूरोपीय साम्राज्यवाद
स्पेन और पुर्तगाल के अमरीकी साम्राज्य (देखिए, विषय 8 ) का सत्रहवीं सदी के बाद विस्तार नहीं हुआ। तब तक फ्रांस, हॉलैंड और इंग्लैंड जैसे दूसरे देशों ने अपनी व्यापारिक गतिविधियों का विस्तार करना और अमरीका, अफ्रीका तथा एशिया में अपने उपनिवेश बसाना शुरू कर दिया
2022-23
214 विश्व इतिहास के कुछ विषय
आयरलैंड भी कमोवेश इंग्लैंड का उपनिवेश ही था, क्योंकि वहाँ बसे हुए ज्यादातर भूस्वामी अग्रेत ही थे।
अठारहवीं सदी से यह बहुत साफ़-साफ़ दिखने लगा कि यद्यपि मुनाफे की संभावना ने ही लोगों को यहाँ उपनिवेश बसाने के लिए प्रेरित किया था, लेकिन जो नियंत्रण स्थापित किया गया. उसकी 'प्रकृति' में महत्वपूर्ण विविधताएँ थीं।
दक्षिण एशिया में व्यापारिक कंपनियों ने अपने को राजनीतिक सत्ता का रूप दिया, स्थानीय शासकों को हराया और अपने इलाके का विस्तार किया। उन्होंने पुरानी सुविकसित प्रशासकीय व्यवस्था को जारी रखा और भूस्वामियों से कर वसूलते रहे। बाद में उन्होंने व्यापार को सुगम बनाने के लिए रेलवे का निर्माण किया, खदानें खुदवाई और बड़े-बड़े बालान स्थापित किए।
दक्षिणी अफ्रीका को छोड़ कर शेष पूरे अफ्रीका में यूरोपीय लोग सर्वत्र समुद्र तटों पर ही
व्यापार करते रहे। 19वीं सदी के आखिरी दौर में ही वे अंदरूनी इलाकों में जाने का साहस
कर सके। इसके बाद कुछ यूरोपीय मुल्कों के बीच अपने उपनिवेशों के रूप में अफ्रीका
का बँटवारा करने का समझौता हुआ।
'सेटलर' (Settler/ आबादकार) शब्द दक्षिण अफ्रीका में इच के लिए आयरलैंड, न्यूज़ीलैंड और ऑस्ट्रेलिया में ब्रिटिश के लिए और अमरीका में यूरोपीय लोगों के लिए इस्तेमाल होता है। इन उपनिवेशों की राजभाषा अंग्रेज़ी थी (कनाडा को छोड़ कर, जहाँ फ्रांसीसी भी एक राजभाषा है)।
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