यायावर साम्राज्य
यायावर साम्राज्य की अवधारणा विरोधात्मक प्रतीत हो सकती है। यह तर्क दिया जा सकता है कि यायावर लोग मूलतः घुमक्कड़ होते हैं। यह भी कहा जा सकता है कि ये सापेक्षिक तौर पर एक अविभेदित आर्थिक जीवन और प्रारंभिक राजनीतिक संगठन के साथ परिवारों के समूहों में संगठित होते हैं। दूसरी ओर 'साम्राज्य' शब्द भौतिक अवस्थितियों को दर्शाता है। 'साम्राज्य' ने जटिल सामाजिक और आर्थिक ढाँचे में स्थिरता प्रदान की और एक सुपरिष्कृत प्रशासनिक व्यवस्था के द्वारा एक व्यापक भूभागीय प्रदेश में सुचारु रूप से शासन प्रदान किया। लेकिन कई बार समाजशास्त्रियों की परिभाषाएँ बहुत संकीर्ण व गैर- ऐतिहासिक हो जाती हैं क्योंकि वे किसी बँधे - बँधाए साँचे में उन्हें ढालते हैं। ये परिभाषाएँ तब त्रुटिपूर्ण सिद्ध होती हैं जब हम यायावर समूहों द्वारा निर्मित उनके कुछ साम्राज्य संबंधी संगठनों का अध्ययन करते हैं।
अध्याय 4 में हमने इस्लामी इलाकों में राज्य निर्माण का अध्ययन किया जो अरब प्रायद्वीप की बट्टू यायावर-परंपरा पर आधारित था। इस अध्याय में एक भिन्न वर्ग के यायावरों का अध्ययन किया गया है। ये हैं मध्य एशिया के मंगोल जिन्होंने तेरहवीं और चौदहवीं शताब्दी में पारमहाद्वीपीय साम्राज्य की स्थापना चंगेज़ खान के नेतृत्व में की थी। उसका साम्राज्य यूरोप और एशिया महाद्वीप तक विस्तृत था । कृषि पर आधारित चीन की साम्राज्यिक निर्माण व्यवस्था की तुलना में शायद मंगोलिया के यायावर लोग दीन-हीन, जटिल जीवन से दूर एक सामान्य सामाजिक और आर्थिक परिवेश में जीवन बिता रहे थे; लेकिन मध्य- एशिया के ये यायावर एक ऐसे अलग-थलग 'द्वीप' के निवासी नहीं थे जिन पर ऐतिहासिक परिवर्तनों का प्रभाव न पड़े। इन समाजों ने विशाल विश्व के अनेक देशों से संपर्क रखा, उनके ऊपर अपना प्रभाव छोड़ा और उनसे बहुत कुछ सीखा जिनके वे एक महत्वपूर्ण अंग थे।
इस अध्याय से हमें ज्ञात होता है कि मंगोलों ने चंगेज़ खान के नेतृत्व में किस प्रकार अपनी पारंपरिक सामाजिक और राजनीतिक रीति-रिवाजों को रूपांतरित कर एक भयानक सैनिक-तंत्र और शासन संचालन की प्रभावी पद्धतियों का सूत्रपात किया। मंगोलों के सामने यह चुनौती थी कि वे केवल अपनी स्टेपी परंपराओं के जरिए हाल ही में विजित क्षेत्रों का शासन नहीं चला सकते थे। यह इस वजह से था कि इस नए क्षेत्र में उन्हें तरह-तरह के लोगों, अर्थव्यवस्थाओं और धर्मों का सामना करना पड़ा।
अपना ‘यायावर साम्राज्य' बनाने के लिए उन्हें नए कदम उठाने पड़े और समझौते भी करने पड़े। इस साम्राज्य का यूरेशिया के इतिहास पर गहरा प्रभाव पड़ा और इसने मंगोलों के समाज के चरित्र और संरचना को हमेशा के लिए बदल डाला।
स्टेपी निवासियों ने आमतौर पर अपना कोई साहित्य नहीं रचा। इसीलिए हमारे इन यायावरी समाजों का ज्ञान मुख्यतः इतिवृत्तों, यात्रा-वृत्तांतों और नगरीय साहित्यकारों के दस्तावेज़ों से
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