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Showing posts from January, 2023

History. आधुनिकीकरण के रास्ते

  आधुनिकीकरण के रास्ते उन्नीसवीं सदी की शुरुआत में चीन का पूर्वी एशिया पर प्रभुत्व था। लंबी परंपरा के वारिस छींग राजवंश की सत्ता अक्षुण्ण जान पड़ती थी, जबकि नन्हा सा द्वीप देश जापान अलग-थलग पड़ा हुआ प्रतीत होता था। इसके बावजूद, कुछ ही दशकों के भीतर चीन अशांति की गिरफ़्त में आ गया और औपनिवेशिक चुनौती का सामना नहीं कर पाया। छींग राजवंश के हाथ से राजनीतिक नियंत्रण जाता रहा, वह कारगर सुधार करने में असफल रहा और देश गृहयुद्ध की लपटों में आ गया। दूसरी ओर जापान एक आधुनिक राष्ट्र-राज्य के निर्माण में, औद्योगिक अर्थतंत्र की रचना में और यहाँ तक कि ताइवान (1895) तथा कोरिया (1910) को अपने में मिलाते हुए एक औपनिवेशिक साम्राज्य कायम करने में सफल रहा। उसने अपनी संस्कृति और अपने आदर्शों की स्रोत भूमि चीन को 1894 में हराया और 1905 में रूस जैसी यूरोपीय शक्ति को पराजित करने में कामयाब रहा। चीनियों की प्रतिक्रिया धीमी रही और उनके सामने कई कठिनाइयाँ आईं। आधुनिक दुनिया का सामना करने के लिए उन्होंने अपनी परंपराओं को पुनः परिभाषित करने का प्रयास किया। साथ ही अपनी राष्ट्र-शक्ति का पुनर्निर्माण करने और पश्चिम...

Class 11th history मूल निवासियों का विस्थापन

  मूल निवासियों का विस्थापन इस अध्याय में अमरीका और ऑस्ट्रेलिया के मूल निवासियों के इतिहास के कुछ पहलू पेश किए गए हैं। विषय में हमने दक्षिण अमरीका में स्पेनी और पुर्तगाली औपनिवेशीकरण के इतिहास की झांकी देखी थी। 18 से दक्षिणी अमरीका के और भी हिस्सों में, तथा मध्य, उत्तरी अमरीका, दक्षिणी अफ्रीका, ऑस्ट्रेलिया तथा न्यूजीलैंड के इलाकों में यूरोप से आए आप्रवासी बसने लगे। इस प्रक्रिया ने वहाँ के बहुत से मूल निवासियों को दूसरे इलाकों में जाने पर मजबूर किया। यूरोपीय लोगों की ऐसी बस्तियों को 'कॉलोनी' उपनिवेश) कहा जाता था जब यूरोप से आए इन उपनिवेशों के पारिदि यूरोपीय 'मातृदेश से स्वतंत्र हो गए, जो उन्हें 'राज्य' या देश का दर्जा हासिल हो गया। 190 और 20वीं सदी में एशियाई देशों के लोग भी इनमें से कुछ देशों में आ बसे। आज यूरोपीय और एशियाई लोग इन देशों में बहुसंख्यक हैं, और वहाँ के मूल निवासियों की संख्या कम रह गई है। वे शहरों में मुश्किल से ही नज़र आते हैं, और लोग भूल गए हैं कि कभी देश का अधिकतर हिस्सा उन्हीं के कर्ज में था, और यह भी कि कई नदियों, शहरों इत्यादि के नाम 'देसी...

Class 11th ncert books औद्योगिक क्रांति📚

औद्योगिक क्रांति आधुनिकीकरण के रास्ते मूल निवासियों का विस्थापन आधुनिकीकरण की ओर दुनिया को जोड़ना 1927 में 25 वर्षीय चार्ल्स लिंडबर्ग की एक इंजन वाले हवाई जहाज में अटलांटिक महासागर की पार करते हुए न्यूयार्क से पैरिस, की यात्रा पि छले भाग में आपने मध्यकालीन और प्रारम्भिक आधुनिक विश्व की कुछ महत्त्वपूर्ण ऐतिहासिक प्रक्रियाओं का अध्ययन किया सामंतवाद, यूरोपीय पुनर्जागरण और यूरोप - तथा अमरीका के बीच सम्पर्क अथवा टकरावा जैसा कि आप समझ गये होंगे, आधुनिक विश्व को बनाने में जिन घटनाओं का योगदान रहा वे इसी समय हुई खासतौर से 15वीं शताब्दी के मध्य से विश्व इतिहास के दो अन्य परिवर्तनों ने ऐसी जमीन तैयार की जिसे 'आधुनिकीकरण' कहा गया। यह थे औद्योगिक क्रांति और राजनीतिक क्रांतियों की लड़ी जिसने प्रजा को नागरिक में तब्दील कर दिया। इन राजनीतिक क्रांतियों की शुरुआत अमरीकी क्रांति (1776-81) और फ्रांसीसी क्रांति (1789-94) से हुई। hed ब्रिटेन दुनिया का पहला औद्योगिक राष्ट्र रहा है। विषय 9 में आप इसका अध्ययन करेंगे कि ऐसा कैसे और क्यों हुआ। लंबे अरसे से यह समझा जाता था कि ब्रिटेन के औद्योगीकरण ने दूसर...

Ncert books 📚संस्कृतियों का टकराव

  संस्कृतियों का टकराव इस अध्याय में पंद्रहवा से शाब्दियों के दौरान यूरोप और उत्तरी तथा दक्षिण अमरीका के मूल निवासियों के बीच हुए संघर्ष के कुछ पहलुओं पर विचार किया जाएगा। इस अवधि में यूरोपवासियों ने ऐसे देशों के व्यापारिक भागों की खोज के लिए अज्ञात महासागरों में साहसपूर्ण अभियान किये जहाँ से वे चाँदी और मसाले प्राप्त कर सकते थे। इस काम को सर्वप्रथम स्पेन और पुर्तगाल के निवासियों ने शुरू किया। उन्होंने पोप से उन प्रदेशों पर शासन करने का अनन्य अधिकार प्राप्त कर लिया जिन्हें वे भविष्य में खोजेंगे। स्पेन के शासकों के तत्वावधान में इटली निवासी क्रिस्टोफर कोलंबस 1492 में पूर्व की और यात्रा करते-करते, जिन प्रदेशों में पहुंचा उन्हें उसने इंडीज' (भारत और भारत के पूर्व में स्थित देश, जिनके बारे में उसनेमाको पोलो Marco Fola के में परखा था समझा बाद में हुई खोजों से पता चला कि 'नयी दुनिया' के 'इंडियन' वास्तव में भारतीय नहीं बल्कि अलग संस्कृतियों के लोग थे और वे जहाँ रहते थे वह एशिया का हिस्सा नहीं था। उस समय उत्तरी दक्षिण अमरीका में दो तरह की संस्कृतियों के लोग रहते थे- एक और क...

Ncert books 📚बदलती हुई सांस्कृतिक परंपराएँ

  बदलती हुई सांस्कृतिक परंपराएँ शताब्दी से वीं शताब्दी के अंत तक यूरोप के अनेक देशों में नगरों की संख्या बढ़ रही थी। एक विशेष प्रकार की 'नगरीय-संस्कृति विकसित हो रही थी। नगर के लोग अब यह सोचने लगे थे कि वे गाँव के लोगों से अधिक 'सभ्य' हैं। नगर खासकर फ़्लोरेंस, वेनिस और रोम- कला और विद्या के केंद्र बन गए। नगरों को राजाओं और चर्च से थोड़ी बहुत स्वायत्तता (autonomy) मिली थी। नगर कला और ज्ञान के केन्द्र बन गए। अमीर और अभिजात वर्ग के लोग कलाकारों और लेखकों के आश्रयदाता थे। इसी समय मुद्रण के आविष्कार से अनेक लोगों को चाहे वह दूर-दरात नगरों या देशों में रह रहे हो हुई पुस्तकें उपलब्ध होने लगीं। यूरोप में इतिहास की समझ विकसित होने लगी और लोग अपने 'आधुनिक विश्व' की तुलना यूनानी व रोमन 'प्राचीन दुनिया' से करने लगे थे। अब यह माना जाने लगा कि प्रत्येक व्यक्ति अपनी इच्छानुसार अपना धर्म चुन सकता है। चर्च के, पृथ्वी के केंद्र संबंधी विश्वासों को वैज्ञानिकों ने गलत सिद्ध कर दिया चूंकि सौरमंडल को समझने लगे थे। नवीन भौगोलिक ज्ञान ने इस विचार को उलट दिया कि भूमध्यसागर विश्व का ...

Ncert books 📚तीन वर्ग

  तीन वर्ग हमने देखा है कि नौवीं सदी तक कैसे एशिया और यूरोप के अधिकांश भागों में विशाल साम्राज्यों का विकास और विस्तार हुआ। इन साम्राज्यों में से कुछ पायावरों के थे, कुछ विकसित शहरों और उन शहरों के व्यापारी तंत्रों पर आधारित थे। मकदूनिया, रोम, अरब साम्राज्य, मंगोल साम्राज्य और उनसे पूर्व आने वाले साम्राज्यों (मिस्र, असीरिया, चीनी और मीर्य) में यह अंतर था कि यहाँ दिए गए पहले चार साम्राज्य विस्तृत क्षेत्रों में फैले हुए थे और महाद्वीपीय एवं पारमहाद्वीपीय स्वरूप के थे। ह जो कुछ हुआ उसमें विभिन्न सांस्कृतिक टकरावों की भूमिका निर्णायक थी। साम्राज्यों का उदय प्रायः अचानक होता था परन्तु वे हमेशा उन बदलावों के परिणाम थे जो साम्राज्य निर्माण की दिशा में लंबे समय से उन मूल क्षेत्रों में निहित थे जहाँ से ये साम्राज्य फैलने लगे। विश्व इतिहास में परंपराएँ विभिन्न तरीका से बदल सकती हैं। पश्चिमी यूरोप में नौवों से सत्रहवीं सदी के मध्य ऐसा बहुत कुछ धीरे-धीरे विकसित हुआ जिसे हम 'आधुनिक समय' के साथ जोड़कर देखते हैं। इन कारकों में धार्मिक विश्वासों पर आधारित होने की अपेक्षा प्रयोगों पर आधारित वैज...

Ncert books 📚 यायावर साम्राज्य

  यायावर साम्राज्य यायावर साम्राज्य की अवधारणा विरोधात्मक प्रतीत हो सकती है। यह तर्क दिया जा सकता है कि यायावर लोग मूलतः घुमक्कड़ होते हैं। यह भी कहा जा सकता है कि ये सापेक्षिक तौर पर एक अविभेदित आर्थिक जीवन और प्रारंभिक राजनीतिक संगठन के साथ परिवारों के समूहों में संगठित होते हैं। दूसरी ओर 'साम्राज्य' शब्द भौतिक अवस्थितियों को दर्शाता है। 'साम्राज्य' ने जटिल सामाजिक और आर्थिक ढाँचे में स्थिरता प्रदान की और एक सुपरिष्कृत प्रशासनिक व्यवस्था के द्वारा एक व्यापक भूभागीय प्रदेश में सुचारु रूप से शासन प्रदान किया। लेकिन कई बार समाजशास्त्रियों की परिभाषाएँ बहुत संकीर्ण व गैर- ऐतिहासिक हो जाती हैं क्योंकि वे किसी बँधे - बँधाए साँचे में उन्हें ढालते हैं। ये परिभाषाएँ तब त्रुटिपूर्ण सिद्ध होती हैं जब हम यायावर समूहों द्वारा निर्मित उनके कुछ साम्राज्य संबंधी संगठनों का अध्ययन करते हैं। अध्याय 4 में हमने इस्लामी इलाकों में राज्य निर्माण का अध्ययन किया जो अरब प्रायद्वीप की बट्टू यायावर-परंपरा पर आधारित था। इस अध्याय में एक भिन्न वर्ग के यायावरों का अध्ययन किया गया है। ये हैं मध्य ए...

Ncert books 📚इस्लाम का उदय और विस्तार - लगभग 570-1200 ई. आज जबकि हम इक्कीसवीं शताब्दी में प्रवेश कर चुके हैं, संसार के समस्त भागों में रहने वाले मुसलमानों की संख्या एक अरब से अधिक है। वे भिन्न-भिन्न राष्ट्रों के नागरिक हैं, अलग-अलग भाषाएँ बोलते हैं, और उनका पहनावा भी अलग-अलग किस्म का है। वे जिन तरीकों से मुसलमान बने वे भी भिन्न-भिन्न प्रकार के थे, और वे परिस्थितियाँ भी भिन्न-भिन्न थीं, जिनके कारण वे अपने-अपने रास्तों पर चले गए। फिर भी, मुस्लिम समाजों की जड़ें एक अधिक एकीकृत अतीत में समाहित हैं, जिसका प्रारंभ लगभग 1400 वर्ष पहले अरब प्रायद्वीप में हुआ था। हम इस अध्याय में इस्लाम के उदय और मिस्र से अफ़गानिस्तान तक के विशाल क्षेत्र में, उसके विस्तार के बारे में पढ़ने जा रहे हैं। 600 से 1200 तक की अवधि में यह इलाका इस्लामी सभ्यता का मूल क्षेत्र था। इन शताब्दियों में, इस्लामी समाज में अनेक प्रकार के राजनीतिक और सांस्कृतिक प्रतिरूप दिखते हैं। इस्लामी शब्द का प्रयोग यहाँ केवल उसके धार्मिक अर्थों में नहीं, बल्कि उस समूचे समाज और संस्कृति के लिए भी किया गया है, जो ऐतिहासिक दृष्टि से इस्लाम से संबद्ध रही है। इस समाज में जो कुछ भी घटित हो रहा था उसका उद्भव सीधे धर्म से नहीं हुआ था, बल्कि इसका उद्भव एक ऐसे समाज में हुआ था, जिसमें मुसलमानों को और उनके धर्म को सामाजिक रूप से प्रमुखता प्राप्त थी। ग़ैर-मुसलमान भले ही कुछ गौण सही लेकिन हमेशा इस समाज के अभिन्न भाग रहे, जैसे कि ईसाई प्रदेशों में यहूदी थे। ऊपर दिए गए इस्लामी क्षेत्रों के सन् 600 से 1200 तक के इतिहास के बारे में हमारी समझ इतिवृत्तों अथवा तवारीख पर ( जिसमें घटनाओं का वृत्तांत कालक्रम के अनुसार दिया जाता है) और अर्ध- ऐतिहासिक कृतियों पर आधारित है, जैसे जीवन-चरित (सिरा), पैगम्बर के कथनों और कृत्यों के अभिलेख (हदीथ) और क़ुरान के बारे में टीकाएँ (तफ़सीर)। इन कृतियों का निर्माण जिस सामग्री से किया गया था, वह प्रत्यक्षदर्शी वृत्तांतों (अखबार) का बहुत बड़ा संग्रह था, ये वृत्तांत विशेष कालावधि में मौखिक रूप से बताकर अथवा कागज पर लिखित रूप में लोगों तक पहुँचे। ऐसी प्रत्येक सूचना (ख़बर) की प्रामाणिकता की जाँच एक आलोचनात्मक तरीके से की जाती थी. जिसमें सूचना भेजने (इस्नाद) की श्रृंखला का पता लगाया जाता था और वर्णनकर्ता की विश्वसनीयता स्थापित की जाती थी। यद्यपि यह तरीका नितांत दोषरहित नहीं था, लेकिन मध्यकालीन मुस्लिम लेखक सूचना का चयन करने और अपने सूचनादाताओं के अभिप्राय को समझने के मामले में विश्व के अन्य भागों के अपने समकालीन लोगों की अपेक्षा अधिक सतर्क थे। विवादास्पद मुद्दों के मामले में, उन्होंने अपने स्रोतों से ज्ञात एक ही घटना के विभिन्न रूपांतरण प्रस्तुत किए, और उन्हें परखने का कार्य अपने पाठकों के लिए छोड़ दिया। उनके अपने समय के आस-पास की घटनाओं के बारे में उनका वर्णन अधिक सुनियोजित और विश्लेषणात्मक है और उसे अख़बारों का संग्रह मात्र ही नहीं कहा जा सकता। अधिकतर ऐतिहासिक और अर्ध ऐतिहासिक रचनाएँ अरबी भाषा में हैं। इनमें सर्वोत्तम कृति तबरी (Tabari) (923 में निधन ) की तारीख़ है, जिसका 38 खंडों में अंग्रेज़ी में अनुवाद किया गया है। फ़ारसी

  इस्लाम का उदय और विस्तार - लगभग 570-1200 ई. आज जबकि हम इक्कीसवीं शताब्दी में प्रवेश कर चुके हैं, संसार के समस्त भागों में रहने वाले मुसलमानों की संख्या एक अरब से अधिक है। वे भिन्न-भिन्न राष्ट्रों के नागरिक हैं, अलग-अलग भाषाएँ बोलते हैं, और उनका पहनावा भी अलग-अलग किस्म का है। वे जिन तरीकों से मुसलमान बने वे भी भिन्न-भिन्न प्रकार के थे, और वे परिस्थितियाँ भी भिन्न-भिन्न थीं, जिनके कारण वे अपने-अपने रास्तों पर चले गए। फिर भी, मुस्लिम समाजों की जड़ें एक अधिक एकीकृत अतीत में समाहित हैं, जिसका प्रारंभ लगभग 1400 वर्ष पहले अरब प्रायद्वीप में हुआ था। हम इस अध्याय में इस्लाम के उदय और मिस्र से अफ़गानिस्तान तक के विशाल क्षेत्र में, उसके विस्तार के बारे में पढ़ने जा रहे हैं। 600 से 1200 तक की अवधि में यह इलाका इस्लामी सभ्यता का मूल क्षेत्र था। इन शताब्दियों में, इस्लामी समाज में अनेक प्रकार के राजनीतिक और सांस्कृतिक प्रतिरूप दिखते हैं। इस्लामी शब्द का प्रयोग यहाँ केवल उसके धार्मिक अर्थों में नहीं, बल्कि उस समूचे समाज और संस्कृति के लिए भी किया गया है, जो ऐतिहासिक दृष्टि से इस्लाम से संबद्ध र...

Class 11th history.समय की शुरुआत से

1 समय की शुरुआत से इस अध्याय में इस बात की चर्चा की गई है कि मानव कब और किस रूप में सर्वप्रथम अस्तित्व में आया। ऐसा समझा जाता है कि कदाचित् 56 लाख वर्ष पहले पृथ्वी पर ऐस प्राणियों का प्रादुर्भाव हुआ जिन्हें हम मानव कह सकते हैं। इसके बाद आदि मानव के कई रूप बदले और कालांतर में लुप्त हो गए। आज हम जिस रूप में मानव को देखते हैं (जिन्हें हमने आगे 'आधुनिक मानव' कहा), वैसे लोग 1,60,000 साल पहले पैदा हुए थे। लगभग 8000 ई. पू. तक मानव इतिहास के इस लंबे अरसे के दौरान लोग दूसरों द्वारा मारे गए या अपनी मौत खुद मरे प्राणियों के शरीर में से मांस निकालकर, जानवरों का शिकार करके अथवा पेड़-पौधों से कंदमूल फल और बीज आदि बटोरकर अपना पेट भरते थे। धीरे-धीरे उन्होंने पत्थरों से औज़ार बनाना और आपस में बातचीत करना सीख लिया। ' जीवाश्म' (Fossil) शब्द एक अत्यंत पुराने पौधे, जानवर या मानव के उन अवशेषों या छापों के लिए प्रयुक्त किया जाता है जो एक पत्थर के रूप में बदलकर अक्सर किसी चट्टान में समा जाते हैं और हालाँकि आगे चलकर आदमी ने भोजन जुटाने के कई और तरीके अपना लिए, पर शिकार और संग्रह करने यानी इधर-उ...

Class 11th history. लेखन कला और शहरी जीवन

लेखन कला और शहरी जीवन शहरी जीवन की शुरुआत मेसोपोटामिया में हुई थी (Exphrates) और (Tigris) नदियों के बीच स्थित यह प्रदेश आजकल इराक गणराज्य का हिस्सा है। की सम्पत अपनी संपन्नता, शहरी जीवन, विशाल एवं समृद्ध साहित्य, गणित और खगोलविद्या के लिए प्रसिद्ध है। मेोपमया को लेखन प्रणाली और उसका साहित्य पूर्वी भूमध्यसागरीय प्रदेश और उत्तरी सीरिया तथा तुर्की में 2000 ई.पू. के बाद फैला, जिसके फलस्वरूप उस समस्त क्षेत्र के राज्यों के बीच आपस में, यहाँ तक कि मिस्र के फ़ो (Pharash) के साथ भी की भाषा और लिपि में लिखा पढ़ी होने लगी। हाँ हम शहरी जीवन और लेखन के बीच के संबंधों को करने का प्रयत्न करेंगे और फिर यह जानना लेखनको प्रतिफल प्राप्त हुए। अभिलिखित इतिहास के आरंभिक काल में इस प्रदेशको मुख्यतः इसके शहरीकृत दक्षिणी भाग को (नीचे विवरण देखें) सुमेर (Sumer और अकद (Akkad कहा जाता था। 2000 ई.पू. के बाद जब बेबीलोन एक महत्त्वपूर्ण शहर बन गया तब दक्षिणी क्षेत्र को बेबीलोनिया कहा जाने लगा। लगभग 1100 ई.पू. से, जब असीरियाइयों ने उत्तर में अपना राज्य स्थापित कर लिया, तब उस क्षेत्रको असीरिया (Assyria) कहा जाने लगा उस प...

Class 1th.History. तीन महाद्वीपों में फैला हुआ साम्राज्य

    दो साम्राज्य तीन महाद्वीपों में फैला हुआ साम्राज्य  इस्लाम का उदय और विस्तार लगभग 570-1200 यायावर साम्राज्य साम्राज्य मे* सोपोटामिया में साम्राज्य स्थापित होने के दो सहस्राब्दी बाद तक उस क्षेत्र तथा उसके पूर्व और पश्चिम में साम्राज्य निर्माण के विविध प्रयत्न होते रहे। छठी शती ई. तक ईरानियों ने असीरिया के साम्राज्य के अधिकांश भाग पर अपना नियंत्रण स्थापित कर लिया था। स्थलमार्गो के साथ-साथ भूमध्यसागरीय तटवर्ती क्षेत्रों में व्यापारिक संबंधों का विकास हुआ। इन परिवर्तनों के फलस्वरूप व्यापार में सुधार हुआ और इस वजह से पूर्वी भूमध्यसागरीय क्षेत्र में यूनानी नगर तथा उनकी बस्तियों को लाभ हुआ। उन्हें काला सागर के उत्तर में रहने वाले यायावर लोगों के साथ घनिष्ठ व्यापारिक संपर्क से भी बहुत फ़ायदा हुआ। यूनान में अधिकांश समय तक एथेंस और स्पार्टी के नगर राज्य नागरिक जीवन के केंद्र बने रहे। चतुर्थ शती ई. के उत्तरार्ध में यूनानी राज्यों में मेसीडोन राज्य के राजा सिकंदर ने कई सैन्य अभियान किए और उत्तरी अफ्रीका, पश्चिमी एशिया व ईरान तथा भारत में व्यास तक के क्षेत्र को जीत लिया। उसके सैनि...